चा वल पूरे विश्व में खाया जाने वाला एक प्रमुख आनाज है. भारत में भी उत्तर-पश्चिम भारत को छोड़ कर बाकी सभी प्रदेशों में यह खाया जाने वाला प्रमुख आनाज है. मधुमेह होते ही मधुमेही को अधिकाँश चिकित्सकों और स्वजनों द्वारा एक गुरु मंत्र घुट्टी के रूप में दिया जाता है “ आलू, चावल, चीनी, और ज़मीन के नीचे पैदा होने वाली वस्तुओं से परहेज़ रखना है”.
हम यहाँ चावल से जुडे तथ्यों की चर्चा करेंगे. इस आनाज को ले कर जितनी भ्रांतियां हैं शायद ही किसी और आनाज को ले कर हो. चावल के कई प्रकार खाने के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं और सब की पोषक गुणों में अंतर होता है. चावल के प्रकार से मेरा मतलब उस के विभिन्न प्रजातियो से न हो कर उस को तैयार करने की विधि से है. चवाल पकाने की विधि से भी उसके पोषकता में अंतर आ जाता है.
हम सभी जानते हैं की चावल के फसल को “धान” कहते हैं. धान जब खेतों से कट कर आता है तो उसे प्रोसेस कर के उस में से चावल प्राप्त किया जाता है. इस प्रोसेसिंग की वजह से हमे मुख्यतः तीन प्रकार के चावल प्राप्त होते हैं:-
जब धान को कूट कर उसके छिलके को अलग कर दिया जाता है तो हमें ब्राउन राइस प्राप्त होता है. यह सुनहरे या भूरे रंग का होता है क्योंकि चावल के ऊपर फाइबर/रेशे की एक परत जिसे ब्रान भी कहते हैं चिपकी रहती है. इस वजह से ब्राउन राइस में रेशे की मात्र अधिक होती है और इसको खाने के बाद यह पचने में समय लेता है और रक्त में ग्लूकोस की मात्र तीव्रता से नहीं बढती. इस चावल में विटामिन बी की मात्र भी अधिक होती है. यह चावल पकने पर आपस में चिपकता नहीं है और थोडा सख्त होता है.
इस विधि में धान को पहले पानी में भिगोतें हैं, और जब वह पानी सोख लेता है तो उस पर से भाप को गुजारते हैं. इस के बाद उस को सुखा कर उस की कुटाई के जाती है. इस प्रक्रिया की वजह से भूसी की परत चावल पर चिपक जाती है. धान के छिलके में एवं भूसी में उपस्थित विटामिन बी चावल के कण में अवशोषित कर लिया जाता है. चावल के कण में उपस्थित स्टार्च(कार्बोहायड्रेट) आंशिक रूप से पक भी जाता है जिसके कारण चावल के कण थोडे पारदर्शी हो जाते हैं. उसन देने के बाद कुटाई करने से चावल के कण टूटते भी नहीं हैं. ब्राउन राइस की तरह इसमें भी रेशे की मात्र अधिक होती है, पकने के बाद दाने आपस में चिपकते नहीं हैं और खाने के बाद इसको पचने में समय लगता है जिस वजह से रक्त में ग्लूकोस तेजी से नहीं बढ़ता. उसन देने की वजह से इस चावल की खुशबू बदल जाती है और यदि शुरू से इस को खाने की आदत न हो तो बहुत से लोगों को यह पसंद नहीं आता. यह प्रक्रिया पूरे भारत में सदियों से अपनाई जाती रही है और आज भी अपनाई जाती है.
यह सबसे अधिक खाया जाने वाला चावल है. धान के कुटाई के बाद प्राप्त चावल को पॉलिश कर उसके ऊपर की भूसी की परत को हटा दिया जाता है. इससे चावल का रंग सफ़ेद हो जाता है. पकने पर इसके कण मुलायम और चिपचिपे होते हैं. इसमें रेशे की मात्र कम होती है और विटामिन बी की मात्र भी कम होती है. यह खाने के बाद जल्दी पचता है और रक्त में ग्लूकोस का स्तर शीघ्रता से बढ़ता है.
नीचे दिए गए तुलनात्मक चार्ट से आप को इन तीनो प्रकार के चावलों में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्वों का आंकलन करने में सुविधा होगी.
Nutrition Chart |
||||
The nutritional values of long, medium, and short grain rice are essentially the same within each variety or classification (i.e., brown or white). Here is a comparison chart of brown rice, unenriched white rice, and parboiled rice: |
||||
Brown |
White (Unenriched) |
Parboiled (Unenriched) |
||
Nutrient |
Unit |
¼ cup raw |
¼ cup raw |
¼ cup raw |
Proximates (Macronutrients) |
||||
Calories/कैलोरी |
kcal |
171 |
169 |
172 |
Protein/प्रोटीन |
g |
3.64 |
3.30 |
3.14 |
Total Fat/कुल वसा |
g |
1.35 |
0.31 |
0.26 |
Carbohydrate/कार्बोहायड्रेट |
g |
35.72 |
36.98 |
37.80 |
Fiber/रेशा |
g |
1.62 |
0.60 |
0.79 |
Minerals/खनिज |
||||
Calcium, Ca/कैल्शियम |
mg |
10.64 |
12.95 |
27.75 |
Iron, Fe/आयरन |
mg |
0.68 |
0.37 |
0.69 |
Magnesium, Mg/मैग्नीशियम |
mg |
66.14 |
11.56 |
14.34 |
Phosphorus, P/फॉस्फोरस |
mg |
154.01 |
53.19 |
62.90 |
Potassium, K/पोटासियम |
mg |
103.14 |
53.19 |
55.50 |
Sodium, Na/सोडियम |
mg |
3.24 |
2.31 |
2.31 |
Zinc, Zn/जिंक |
mg |
0.93 |
0.50 |
0.44 |
Copper, Cu |
mg |
0.13 |
0.10 |
0.09 |
Manganese, Mn |
mg |
1.73 |
0.50 |
0.39 |
Selenium, Se |
mg |
10.82 |
6.98 |
10.64 |
Vitamins |
||||
Vitamin C |
mg |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
Thiamin |
mg |
0.19 |
0.03 |
0.05 |
Riboflavin |
mg |
0.04 |
0.02 |
0.03 |
Niacin |
mg |
2.35 |
0.74 |
1.68 |
Pantothenic Acid |
mg |
0.69 |
0.47 |
0.52 |
Vitamin B-6 |
mg |
0.24 |
0.08 |
0.16 |
Folate |
mcg |
9.25 |
3.70 |
7.86 |
Vitamin B-12 |
mcg |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
Vitamin A, IU |
IU |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
Vitamin A, RE |
mcg |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
Vitamin E |
IU |
0.33 |
0.06 |
0.07 |
The information in this table was taken from the U.S. Department of Agriculture, Agricultural Research Service, 2002. USDA Nutrient Database for Standard Reference, Release 15 (August, 2002).
मधुमेही बंधुओं उपरोक्त चार्ट का अवलोकन करने पर आप पायेंगे की उर्जा देने की क्षमता,और कार्बोहायड्रेट की मात्रा तीनो प्रकार के चावल में लगभग समान है. अक्सर लोगों को भ्रान्ति होती है की उसना चावल में सुगर कम होता है. अखबारों में “सुगर फ्री” चावल के शीर्षक से भ्रान्ति फैलाने वाले खबर भी छप जाते हैं.
दरअसल अंतर पड़ता है धान की प्रोसेसिंग(प्रसंस्करण)से. जैसा की पहले बताया जा चुका है की ब्राउन राइस और उसना चावल में रेशे की एक परत होती है जिसके कारण उसके पाचन में वक़्त लगता है, और उसे खाने के बाद रक्त में ग्लूकोस का स्तर तेज़ी से नहीं बढ़ता.
चवाल को धोने और पकाने के तरीके से भी उसके पोषकता पर असर पड़ता है. वाइट राइस या अरवा चावल को बार बार पानी में धोने से पानी में घुलनशील विटामिन बी काम्प्लेक्स का नुक्सान होता है. पकाने के दो तरीके प्रयोग में लाये जाते है: पसावन और बैठावान. पसावन विधि में चावल को अधिक पानी में पकाया जाता है और बाद में अधिक पानी को पसा दिया जाता है या बहा दिया जाता है. अधिकतर मधुमेह रोगियों को इसी विधि से चावल पकाने की सलाह दी जाती है जिस से चावल में मौजूद कार्बोहायड्रेट(स्टार्च) पानी के साथ बह जाता है. यद्यपि की इस विधि से चावल को पकाने से कार्बोहायड्रेट की कमी हो जाने से इस चावल को खाने से रक्त ग्लूकोस उतना नहीं बढ़ता लेकिन साथ ही इस प्रकार चावल को पकाने से उसकी पोषकता काफी कम हो जाती है. पानी में घुलनशील विटामिन बी का लगभग पूरी तरह सफाया हो जाता है. बैठावन विधि में पानी की मात्रा इतनी रक्खी जाती है की पकते समय चावल उसे सोख ले और उसे बहाना न पडे.
अब लाख टके का सवाल है की मधुमेह रोगी चावल खाए या न खाए? खाए तो कौन सा खाए? पकाए तो कैसे पकाए? प्रिय मधुमेह बंधुओं मधुमेह में चावल खाने की मनाही नहीं है. ध्यान यह रखना है की गेंहू की तुलना में इसमें रेशे की मात्रा कम होती है. जहाँ चोकर युक्त आटे में रेशे की मात्रा 12.6% होती है वहीँ ब्राउन राइस में मात्र 3% और अरवा चावल में तो और भी कम. इसलिए अगर चोकर युक्त आटे के साथ चावल वह भी ब्राउन राइस या उसना/भुजिया का प्रयोग किया जाये तो वह शर्करा नियंत्रण के लिहाज से उचित रहता है. चावल खाते समय यह ध्यान रखना चाहिए की वह आवश्यक भोजन से ऊपर न हो जाये. पूर्वांचल के लोगों की एक विशेषता होती है की वह रोटी पेट भरने के लिए खाते हैं और चावल मन भरने के लिए. यदि आप एक छोटी कटोरी से एक कटोरी चावल(लगभग 25 ग्राम कच्चा) खाना चाहते हैं तो थाल से एक रोटी कम कर लें, जिससे आप के भोजन से मिलने वाली उर्जा की मात्र न बढने पाए. चावल को अधिक पानी में पका कर उस का पोषक तत्व नष्ट न करें और जहाँ तक हो ब्राउन राइस या उसना/भुजिया चावल का प्रयोग करें.
यह वेबसाइट मधुमेह रोगियों एवं जनसाधारण को इस रोग एवं इसके विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरुक करने के लिये है। यह चिकित्सक का विकल्प नहीं है। अपनी चिकित्सा के लिये सदैव अपने चिकित्सक से सम्पर्क बना कर रखें।